
किताबी कीड़ा
चीज़ें हमेशा से फैली रहती | उसने कभी नहीं सोचा था एक दिन वह समेट नहीं पायेगा | फैलाव उसे पसंद था | बहुत दिन तक चादर को उसने वहीं रख छोड़ा था, जहाँ जिस कोने में वह पड़ी थी | अगर सोने की जगह की बात करो तो किताब ठीक वहाँ थीं, जहां उन्हें कभी नहीं होना चाहिए| यानी बिस्तर पर फैली हुई| किताबों से पूरा बिस्तर भरा पड़ा था| कहाँ बिस्तर है, कहाँ किताब उसे कुछ होश ही नहीं रहता| सारा दिन सोने के बाद रात के वक़्त जब उसकी मदहोशी टूटती, वह किताब […]